भारतीय दंड संहिता:

 भारतीय दंड संहिता:आधिपत्य से अभिप्राय 


 " आधिपत्य से अभिप्राय यहाँ मध्यवर्ती ( mediate ) अथवा तात्कालिक ( immediate ) दोनों प्रकार के आधिपत्य से हैl यहाँ यह उल्लेखनीय है कि इस धारा में प्रयुक्त शब्द ' सम्पत्ति ' से अभिप्राय मूर्त अचल सम्पति ' ( immovable corporeal property ) से है न कि अमूर्त सम्पति ( incorporeal property ) सेl 

2.यदि प्रवेश विधिपूर्ण हो , तो ऐसी सम्पत्ति पर अविधिपूर्णतया बना रहना यदि किसी सम्पति में या पर विधिपूर्ण तरीके से प्रवेश किया जाता है तो आपराधिक अतिचार का अपराध गठित नहीं होता । लेकिन यदि ऐसे प्रवेश किये जाने के पश्चात् वहां अविधिपूर्णतया ( unlawfully ) बना रहा जाता है , तो वह आपराधिक अतिचार का रूप ले लेता है । 

3. कोई अपराध कारित करने के आशय में प्रवेश करना या अविधिपूर्णतया बने रहना आपराधिक अतिचार का तीसरा महत्वपूर्ण तत्व है कोई अपराध कारित करने के आसे प्रवेश करना अथवा अविधिपूर्णतया वहाँ बने रहना । जहाँ किसी बैंक के कर्मचारियों ने कार्यालय में प्रवेश कर दिन भर शान्तिपूर्ण तरीके से ' कलम रोको ' हड़ताल की तथा बैंक के उच्च अधिकारी द्वारा अपना - अपना स्थान छोड़ने का आदेश दिये जाने पर भी उन्होंने अपना स्थान नहीं छोड़ा । सर्वोच्च न्यायालय द्वारा यह धारण किया गया कि उन्होंने इस धारा के अन्तर्गत आपराधिक अतिचार का अपराध कारित नहीं कियाl अनधिकृत रूप से प्रवेश करने के आशय को परिस्थितिजन्य साय द्वारा भी साबित किया जा सकता हैl

4.आधिपत्यधारी व्यक्ति को अभिनास अपमानित या क्षुब्ध करने के आशय से प्रवेश करना या अविधिपूर्णतया बने रहना - फिर ऐसे प्रवेश करने अथवा अविधिपूर्णतया वहाँ बने रहने का आशय किसी व्यक्ति को अभिवास ( Intimidate ) करने अपमानित ( insult ) करने या सुब्ध ( annoy ) करने का रहा हो तो यह आपराधिक अतिचार का अपराध गठित कर देता हैl जहाँ एक लड़का किसी ऐसी लड़की को प्रेम पत्र लिखता है जो उससे बिल्कुल परिचित नहीं है और प्रेमपत्र उस लड़की को देने के लिये उसके मकान में प्रवेश करता है । यह धारण किया गया कि ऐसे प्रेम पत्र से लड़कों को अवश्य सुब्धता होगी , अतः यह ' आपराधिक अतिचार ' है इसी प्रकार जहाँ अभियुक्त परिवादी के मकान में उसकी विधवा बहिन के साथ लैंगिक सम्भोग करने के आशय से प्रवेश करता है । यह धारण किया गया कि निःसन्देह यह कृत्य परिवादी को सुब्ध करने वाला है अतः यह " आपराधिक अतिचार " हैl इस धारा की प्रयोज्यता के लिये यह आवश्यक नहीं है कि जिस व्यक्ति को क्षुब्ध करने का आशय हो , वह प्रवेश के समय वहाँ उपस्थित हो ही l                                                     श्रीमती कंवल सूद बनाम नवलकिशोर और अन्य का मामला : आपराधिक अतिचार के सम्बन्ध में यह एक महत्वपूर्ण मामला है । इस मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा यह अभिनिर्धारित किया गया है कि आपराधिक अतिचार का अपराध गठित होने के लिये ' आशय ' का होना आवश्यक है । मात्र अधिग्रहण हो चाहे वह अवैध ही क्यों न हो आपराधिक अतिचार की कोटि में नहीं आता ।

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